‘वैशाली काम्बोज कक्षा 9 ब
आँखों में ख्वाब लिये हम सब चल दिये।
रस्ता था ऐसा कभी देखा नहीं,
कठिनाई भी इतनी कभी सही नहीं,
आँखों में था ख्वाब कि कुछ कर दिखाना है,
और अपनी मंजिल को पाना है ।
आँखों में ख्वाब लिये हम सभी जवान चल दिये।
अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना था,
मंजिल को पाना था, दुश्मनों को मार गिराना था,
देश का नाम बढ़ाना था, और बढ़ते ही जाना था,
आँखों में ख्वाब लिये हम सभी जवान चल दिये।
सर्द मौसम से लड़ते हुए, पहाड़ियों पर चढ़ते हुए,
सीनों पर गोली खाते हुए दुश्मनों को मार गिराते हुए,
मंजिल को पाते हुए आँखों में ख्वाब लिये,
हम सभी जवान चल दिये।
मुश्किलों का सामना कर दिखाया,
अपनी मँजिल को पाया।
पर्वत शिखर पर भारत का झंडा लहराया,
यह था ऐसा लम्हा जिसे मुश्किल था भूल पाना,
बस अपने देश पर है मर मिट जाना,
यही संदेश है हमारा, यही संदेश है हमारा।
वैशाली काम्बोज
कक्षा 9 ब
केन्द्रीय विद्यालय, आवडी
चेन्नै-55
आपको हिन्दी में लिखता देख गर्वित हूँ.
ReplyDeleteभाषा की सेवा एवं उसके प्रसार के लिये आपके योगदान हेतु आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ.
बहुत सुंदर - वैशाली!
ReplyDeletebahut achi rachna ha beta ase hi likhte rahiye...
ReplyDeleteman ko bahut chhoo gayi ye kavita...bachchi ko ujjaval bhavishy aur lekhan me unnati ki shubhkamnayei
ReplyDelete