Wednesday, June 3, 2009

पुस्तक समीक्षा


मास्टर जी ने कहा था :कमल चोपड़ा

ए आर एस पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स

1362, कश्मीरी गेट,

दिल्ली – 110 006


–––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––

इस बाल उपन्यास में एक ऐसे शरारती लड़के की कहानी है जिसका नाम किन्नू है। किन्नू अपने माँबाप की इकलौती संतान है। पिता गाँव के जमींदार हैं। रूप्एपैसे वाले आदमी हैं। गाँव में उनका बड़ा रौब है। इसी कारण अक्सर लोग उनसे घबराते कतराते हैं।

बेटा किन्नू अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रहा था। गांव की पाठशाला में आए दिन अपने सहपाठियों को तंग करता था। उसको यह सब करना अच्छा लगता था। चाहे किसी का दिल दुखे, इसकी परवाह वह नहीं करता था। आए दिन कक्षा अध्यापक से उलझ जाता। पिटाई खाता और अध्यापक से बदला लेने की फिराक में रहता है ।

अध्यापक हमेशा उसे सुधर जाने की नसीहत देते। पर वह तो चिकना घड़ा था। इस कान से सुनता और दूसरे कान से अनसुना कर निकल जाता।

किन्नू की शरारत के कारण ही अध्यापक को स्कूल छोड़ना पड़ा। स्कूल किन्नू के पिता की दान राशि पर चलता था।

अचानक किन्नू के घर आग गई। माँबाप घर में फँस गए। पिता को लोग बचा नहीं पाए। माँ अकेली रह गई। किन्नू पढ़ालिखा नहीं था। मुनीम ने जमीनजायदाद पर कब्जा कर लिया। हार कर किन्नू शहर आ गया। किन्नू कई मुसीबतों में घिरा, अत्याचार भी सहा, ऐसे में उसे एक अपाहिज लड़की मिली जिसने किन्नू को भाई माना। किन्नू को समझ में आने लगा था कि काश उसने पढ़ाई को गंभीरता से लिया होता ! पुस्तक में कई रोचक प्रसंग हैं। लेखक की शैली वाकई प्रभावशाली है। पुस्तक का चित्रांकन सुन्दर है।

––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––

-ललित किशोर मंडोरा

3 comments:

  1. शुक्रिया इस पुस्तक के बारे में बताने के लिए !

    ReplyDelete
  2. ललित जी को दुर्ग से शरद कोकास का नमस्कार .मै ब्लॉग्स मे पुस्तक समीक्षा ढूंढ ही रहा था कि आपका ब्लॉग मिल गया. पढकर अच्छा लगा.एन.बी.टी. की अन्य पुस्तकों पर भी समीक्षा करवाइये.मेरे भी कुछ ब्लॉग्स है उन पर भी नज़र डालिये http://kavikokas.blogspot.com
    http://sharadkokas.blogspot.com
    http://sharadkokaas.blogspot.com धन्यवाद

    ReplyDelete