कल्लू मोटा
कल्लू मोटा ना है खोटा
रखे हाथ में ,मोटा सोटा
रोज़ नहाता ,भर भर लोटा ।
चन्दू भाई ,है हलवाई
खुद ना खाता ,कभी मिठाई
इसीलिए कोठी बनवाई ।
माधो मट्टू,बड़ा निखट्टू
आदत से है अड़ियल टट्टू
सिर है उसका ,जैसे लट्टू ।
है बरजोरा, बड़ा चटोरा
खाता खीर बाइस कटोरा
तन है उसका जैसे बोरा ।
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
मनभावन रचना भैया जी ..सादर नमन भैया जी
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