कमला निखुर्पा
बोल रे बादल, बादल बोल।
तुम गरजो तो नाचे
मोर
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गूगल से साभार |
जो हम गरजें तो
मचता शोर
टीचरजी हम पर
गुर्राती
कित्ता समझाएँ
वो समझ ना पाती।
खुल जाती हम सबकी
पोल ।
बोल रे बादल, बादल बोल।
छप-
छपाछप कूदा-फाँदी
भीगे- भिगोए हम सब साथी
करें गुदगुदी नटखट बूँदें
कितने मजे का है ये
खेल
न खिड़की से झाँको
चुन्नू मुन्नू
बाहर आ
दरवाजे खोल।
बोल रे बादल बादल बोल।
ये तेरी नाव ,वो
मेरी नाव
बिन माँझी पतवार के
बह चली रे अपनी नाव
कागज की नैया
मुन्नू खिवैया
सब चिल्लाएं हैय्या
हो हैय्या !!
इन खुशियों का है
कोई मोल ??
बोल रे बादल बादल
बोल।
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